रोटी की चाहत में ही पहाड़ चढ़े जाते हैं,
रोटी की चाहत में ही युद्ध लड़े जाते हैं ।
रोटी के झगड़े में ही ताज लुढ़क जाते हैं,
रोटी की ताकत से ही तख्त पलट जाते हैं ।
रोटी की माया से ही महल खड़े होते हैं ,
रोटी की छाया में ही स्वप्न बड़े होते हैं ।
रोटी
की गरमी से कुछ हृदय पिघल जाते हैं,
रोटी के मिलने से कुछ भाग्य बदल जाते हैं ।
रोटी
की राहों पर कुछ दोस्त बिछ्ड़ जाते हैं,
रोटी
की चाहों पर कुछ स्वप्न बिखर जाते हैं ।
रोटी
की माया पर कुछ ग्रंथ पढ़े जाते हैं,
रोटी
की महिमा पर कुछ काव्य गढ़े जाते हैं ।
रोटी के आटे से माँ के हाथ सने रहते हैं,
रोटी की छाया में ही परिवार बने रहते हैं ।
Roti is universe. How? Read here
Lovely words, Saket :)
ReplyDeleteAbsolutely true :)